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सीईओ ने ली आश्रम छात्रावास, पोटा केबिन तथा आवासीय विद्यालय की अधीक्षकों एवं अधीक्षिकाओं की बैठक

 

 

फकरे आलम/दंतेवाड़ा – बचेली: दंतेवाड़ा। दूरस्थ ईलाके के ग्रामीण अपने बच्चों की शिक्षा के लिए उन्हें पूरा भरोसा के साथ आश्रम-छात्रावास में दाखिला करवाते हैं। उनके इस विश्वास के प्रति खरा उतरने के लिए आश्रम-छात्रावासों के अधीक्षक-अधीक्षिकाएं बच्चों की देखभाल माता-पिता की तरह करें। आश्रम-छात्रावास का बेहतर परिवेश बनाये रखें, जिससे बच्चे पूरे मन लगाकर मेहनत के साथ पढ़ाई कर सकें। यह बात जिला पंचायत सीईओ श्री कुमार बिश्वरंजन ने जिला पंचायत सभाकक्ष में आयोजित आश्रम-छात्रावास के अधीक्षक एवं अधीक्षिकाओं की बैठक में कही। इसके साथ ही आश्रम, छात्रावास खुलने के पहले शासन से प्राप्त निर्देशों का पालन करने का निर्देश भी दिए।

 

बैठक में संयुक्त कलेक्टर श्री हिमाचल साहू, उपायुक्त आदिवासी विकास श्री एस. के.मसराम , प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी श्रीमती अहिल्या ठाकुर, डीएमसी श्री श्याम लाल सोरी,इसके अलावा जिले में पदस्थ मंडल संयोजक और आश्रम-छात्रावासों के अधीक्षक एवं अधीक्षिकाएं मौजूद थे।सीईओ श्री कुमार बिश्वरंजन ने बैठक के दौरान सभी आश्रम-छात्रावासों में पेयजल-बिजली और शौचालय की सुविधा सहित अन्य आवश्यक व्यवस्था की जानकारी ली तथा निर्देशित किया कि आश्रम-छात्रावासों में बेहतर वातावरण निर्मित किया जाये। स्वच्छता एवं साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाये। बच्चों को स्वच्छता के लिए प्रेरित करने सहित शौचालय का उपयोग करने प्रोत्साहित किया जाये।

बच्चों के बीमार पड़ने की स्थिति में उपचार कराने के लिए अस्पताल में भर्ती कर एक अटेडेंट साथ में अवश्य रखा जाये। वहीं आश्रम-छात्रावास में प्राथमिक उपचार किट हमेशा रखा जाये, उक्त प्राथमिक उपचार किट के औषधियों का अवसान तिथि के अनुरूप समय-समय पर बदलाव अवश्य किया जाये। श्री बिश्वरंजन ने आश्रम-छात्रावास अधीक्षक-अधीक्षिकाओं को सम्बन्धित संस्था में ही निवास कर कर्तव्य निर्वहन करने का निर्देश देते कहा कि बच्चों की समुचित देखभाल के लिए आश्रम-छात्रावास में अधीक्षक एवं अधीक्षिकाओं का निवास करना अनिवार्य है। उन्होंने आश्रम-छात्रावास में हर दिन सुबह-शाम बच्चों की हाजिरी लेकर भौतिक सत्यापन अनिवार्य रूप से करने का निर्देश दिया।

 

 

 

वहीं बच्चों को गुणवत्तायुक्त नाश्ता एवं भोजन सुलभ कराये जाने का निर्देश दिया। बच्चों को पोष्टिक भोजन देने के लिए हरी सब्जी तथा सप्ताह में एक दिन दूध एवं मांस भी परोसने कहा। उन्होंने प्रत्येक आश्रम-छात्रावास में पानी की सुलभता को ध्यान रखकर किचन गार्डन विकसित किये जाने पर बल देते हुए कहा कि किचन गार्डन में स्थानीय स्तर पर साग-सब्जी उत्पादन कर बच्चों को भोजन में उपलब्ध कराया जाये। इस दिशा में चहारदीवारी विहीन आश्रम-छात्रावासों में चहारदीवारी निर्माण के लिए प्रस्ताव तैयार कर प्रस्तुत किये जाने निर्देशित किया। आश्रम-छात्रावास के बच्चों का नियमित स्वास्थ्य परीक्षण कराये जाने का निर्देश दिया।

उन्होंने इस दिशा में चिरायु चिकित्सा दल की सेवाएं अनिवार्य रूप से लेने का निर्देश दिया। बैठक के दौरान प्राथमिक स्तर के आश्रम शालाओं के 5वीं में अध्ययनरत् छात्र-छात्राओं हेतु नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा की तैयारी करने पुस्तकें प्रदान किया गया। इस दौरान 10वीं एवं 12वीं बोर्ड परीक्षाओं की बेहतर तैयारी के लिए छात्र-छात्राओं की विशेष कोचिंग को नियमित संचालित किये जाने के निर्देश दिये गये। वहीं इन छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान देने निर्देशित किया गया। बैठक में आश्रम-छात्रावास भवनों के मरम्मत, पेयजल साधन, अतिरिक्त शौचालय निर्माण के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत किये जाने के निर्देश दिये गए।