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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर भारत बंद, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व घरघोड़ा को सौंपा ज्ञापन

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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को लेकर भारत बंद, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व घरघोड़ा को सौंपा ज्ञापन

घरघोड़ा/गौरीशंकर गुप्ता: सुप्रीम कोर्ट द्वारा 1 अगस्त को दिए गए फैसले अनुसू‌चित जाति एवं जनजाति वर्ग के कोटे के अंदर कोटा और कोटे के अंदर क्रीमी  लेयर निर्धारित करने का अधिकार राज्यों को देने निर्णय पारित किया है जिसके विरोध में पूरे भारत के अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों के द्वारा आज 21 अगस्त को भारत बंद करने का निर्णय लिया गया था जिसके परिपेक्ष्य में आज घरघोड़ा में भी भारत बंद के समर्थन में कारगिल चौक से रैली निकालते हुए जय स्तम्भ चौक पहुंची एवं जय स्तम्भ चौक से अनुविभागीय अधिकारी राजस्व घरघोड़ा को पत्र के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदय को ज्ञापन दिया गया l 


आपको बताना चाहेंगे कि ज्ञापन पत्र में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से देश भर के अनुचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग प्रभावित हो रहे हैं। वास्तव में अनुसूचित जनजाति एवं अनुसूचित जाति वर्ग के भीतर वर्गीकरण करने का अधिकार राज्यों को नहीं है क्योंकि आर्टिकल 341 (2) एवं 342 (2) यह अधिकार देश के सांसद को देता है और यही बात ई ची धिनैया मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने 2005 में कहा था। पंजाव राज्य बनाम दविंदर सिंह मामले में 1 अगस्त 2014 के निर्णय में 7 जजों में से एक जज जस्टिस बेला एम त्रिवेदी जी ने 6 जजों के फैसले से असहमति जताते हुए अपना निर्णय उपवर्गीकरण और क्रीमीलेयर के खिलाफ दी है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद देश को 100 सांसदों ने देश के प्रधानमंत्री से मुलाकात की। अगले दिन अखबार में आया कि प्रधानमंत्री एससी, एसटी के भीतर क्रीमी लेयर लागू नही करेंगे।


 लेकिन उप वर्गीकरण पर चुप्पी साधे है। यह केवल कोरा आश्वाशन है। देशभर के एससी, एसटी वर्ग कोरे आश्वाशन में विश्वास नही रखते। यदि भारत सरकार वास्तव में एससी, एसटी हितैषी है तो तत्काल संसद सत्र बुलाकर पंजाब राज्य बनाम दविंदर सिंह मामले दिनांक 1 अगस्त 2024 के आए फैसले को पलटते हुए संविधान संशोधन लाने की बात कर रहे है अब देखना यह है कि भारत बंद करने से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को केंद्र सरकार किस नजर से देखती है।

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