उत्तराखंड के बाद गुजरात में UCC, कांग्रेस बिफरी, कहा, "....खराब तरीके से तैयार किया..."

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव (संचार) एवं सांसद श्री जयराम रमेश ने गुजरात सरकार द्वारा राज्य में समान नागरिक संहिता (UCC) तैयार करने के लिए पैनल गठित करने के फैसले पर प्रतिक्रिया दी है।
यह निर्णय उत्तराखंड में लागू की गई UCC के बाद आया है, जिसमें अनुसूचित जनजातियों को छूट दी गई है।
विधि आयोग की राय और रिपोर्ट मोदी सरकार द्वारा नियुक्त 21वें विधि आयोग ने 31 अगस्त 2018 को 182 पृष्ठों का परामर्श पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि समान नागरिक संहिता न तो आवश्यक है और न ही इसकी जरूरत है। आयोग ने यह भी उल्लेख किया कि भारतीय संस्कृति की विविधता को सम्मान दिया जाना चाहिए और केवल भिन्नता का अस्तित्व किसी भेदभाव का संकेत नहीं देता, बल्कि यह लोकतंत्र की मजबूती को दर्शाता है।
इसके बाद, 22वें विधि आयोग ने 14 जून 2023 को एक प्रेस नोट जारी कर समान नागरिक संहिता के विषय की जांच करने के अपने इरादे की घोषणा की। हालांकि, यह आयोग बिना अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किए 31 अगस्त 2024 को समाप्त हो गया। 23वें विधि आयोग की घोषणा 3 सितंबर 2024 को की गई, लेकिन इसकी संरचना अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
उत्तराखंड में लागू UCC पर कांग्रेस की आपत्ति उत्तराखंड में लागू समान नागरिक संहिता को कांग्रेस ने खराब तरीके से तैयार किया गया और अत्यधिक हस्तक्षेपकारी कानून बताया है। कांग्रेस का मानना है कि यह कानूनी सुधार का साधन नहीं है, बल्कि भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे का एक हिस्सा है।
इस कानून में पारिवारिक कानून से जुड़ी वास्तविक चिंताओं का समाधान नहीं किया गया है। संविधान सभा की मूल भावना के विपरीत भारतीय संविधान का अनुच्छेद 44 यह परिकल्पना करता है कि पूरे भारत में एक समान नागरिक संहिता लागू हो। लेकिन विभिन्न राज्यों द्वारा अलग-अलग UCC लागू करना संविधान सभा की मूल भावना के विपरीत है।
कांग्रेस का मानना है कि समान नागरिक संहिता को व्यापक बहस और चर्चा के बाद आम सहमति के आधार पर लागू किया जाना चाहिए, न कि इसे राजनीतिक ध्रुवीकरण के साधन के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए।