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Aditya L1 Mission: आदित्य एल1 खोलने लगा सूर्य का राज, पृथ्वी की कक्षा में रहकर ही शुरु किया काम, इसरो ने दी खुशखबरी

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नई दिल्ली। Aditya L1 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को सूर्य के अध्ययन के लिए भेजे गए आदित्य एल1 को लेकर बड़ी खुशखबरी दी है। इसरो का कहना है कि पृथ्वी की कक्षा में रहते हुए ही आदित्य एल-1 ने आंकड़े इकट्ठे करने शुरू कर दिए है। ISRO का कहना है कि पृथ्वी से 50 हजार किलोमीटर की दूरी पर सुपर थर्म आयनों और ऊर्जावान कणों, इलेक्ट्रॉनों को नापने का काम आदित्य एल-1 में लगा पेलोड (STEP) शुरू कर चुका है। इसका पूरा नाम सुप्रा थर्मल एंड एनर्जेटिक पार्टिकल स्पेक्ट्रोमीटर है। इस उपकरण के सेंसर ने काम करना शुरू कर दिया है।

Aditya L1 Mission: बता दें कि सुपर थर्मल से मतलब उस प्रक्रिया से है जब खास कणों का तापमान अपने आस पास के कणों से ज्यादा होता है। STEPS में 6 सेंसर लगे हुए हैं जो कि हर दिशा से नजर रख रहे हैं और सुपर थर्मल और एनर्जेटिक आयन्स की जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं। पृथ्वी की कक्षा में रहकर मिलने वाले ये आंकड़े वैज्ञानिकों को पृथ्वी के पास के पार्टिकल्स के व्यवहार के बारे में पता लगाने में सहयोग करेंगे। खासकर यह पता लगाया जाएगा कि पृथ्वी की चुंबकीय क्षेत्र में ये पार्टिकल कैसा व्यवहार करते हैं।

Aditya L1 Mission: इसरो ने बताया कि स्टेप्स को 10 सितंबर को ऐक्टिव कर दिया गया था। खुशखबरी यह भी है कि पृथ्वी से 50 हजार किलोमीटर की दूरी पर भी स्टेप्स ठीक से काम कर रहा है। बता दें कि आदित्य एल1 मिशन को दो सितंबर को लॉन्च किया गया था। पहले यह मिशन भी चंद्रयान – 3 की ही तरह पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। पांच बार कक्षा में परिवर्तन के बाद यह एल-1 पॉइंट की ओर छलांग लगाएगा। चार महीने की यात्रा के बाद यह अपने गंतव्य तक पहुंचेगा।

Aditya L1 Mission: पृथ्वी से एल-1 की दूरी 15 लाख किलोमीटर है। यहां पर पहुंचकर आदित्य एल1 सूर्य की परतों के बारें में अध्ययन करेगा। इस पॉइंट को लैग्रेंजियन पॉइंट कहते हैं। यह ऐसी जगह है जहां पर सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बैलेंस हो जाता है। यहां पर ठहरकर अध्ययन करने के लिए बहुत कम ऊर्जा की जरूरत पड़ती है।

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