
रायपुर। छतीसगढ़ मे होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है सभी राजनितिक दल अपनी रणनीति बनाने मे जुटे हुए हैँ। अभी तक निर्वाचन विभाग द्वारा चुनाव कि अधिसूचना जारी नहीं कि गई है बावजूद इसके भाजपा अपने 21 प्रत्याशीयों कि लिस्ट जारी कर चुनावी शंखनाद किया है।
भाजपा के द्वारा पहली सूची जारी होने के बाद अब कांग्रेस के तरफ सभी कि निगाहें टिकी हुई है विधानसभा के दावेदार अपने अपने आका के दरबार मे माथा टेक टिकट कि उम्मीद लगाए बैठे हैँ। अगर कोटा विधानसभा कि बात करें तो पिछले चुनाव मे अप्रत्याशीत रूप से जोगी कांग्रेस ने अपनी जीत दर्ज कर कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले कोटा मे अपना दबदबा सिद्ध किया था, त्रिकोनीय मुकाबला होने के बावजूद भी भाजपा इस सीट मे सफल नहीं हो पायी थी।

इस बार के विधानसभा चुनाव मे बिलासपुर जिले के कोटा विधानसभा मे भी कांग्रेस और भाजपा के दावेदारों कि लम्बी फौज दिखाई देती है जिसमे कुछ स्थानीय हैँ तो कुछ बाहरी हैँ परन्तु इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों मे क्षेत्रीय प्रत्याशी कि मांग लगातार उठ रही है।

कोटा के कांग्रेस कार्यकर्ता सैकड़ो की संख्या मे आगामी विधानसभा चुनाव मे कोटा सीट से बाहरी प्रत्याशी का विरोध करते हुए स्थानीय प्रत्याशी की मांग करने छतीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के बंगले पंहुचे और कहा कि कोटा विधानसभा सदैव कांग्रेस का गढ़ रहा है और अगर भविष्य मे इस गढ़ को बरकरार रखना है तो किसी भी स्थानीय को प्रत्याशी बनाया जाये बाहरी को नहीं।
कार्यकर्ताओं ने अपनी भावना प्रदेश अध्यक्ष को व्यक्त करते हुए कहा कि आजादी के बाद से कोटा बाहरी लोगो का नेतृत्व सह रही है पर अब इस परिपाटी को बदलते हुए स्थानीय को मौका देने कि मांग दोहराई। प्रदेश अध्यक्ष से मिलने के बाद आदिवासी समाज के नेता गण,कांग्रेस जन कैबिनेट मंत्री कवासी लखमा के आवास पंहुचकर स्थानीय प्रत्याशी की मांग को रखते हुए आदिवासी समाज कि भावनाओ से अवगत कराया। सभी कांग्रेस जनो ने एक स्वर मे कांग्रेस को जिताने का संकल्प लेते हुए पुनः छतीसगढ़ मे कांग्रेस कि सरकार बनाने का संकल्प लिया।