रायपुर। राजधानी रायपुर में डूेंगू, मलेरिया से लोगों की मौत हो रही है, लेकिन सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी एसी से बाहर नहीं निकल रहे हैं। वहीं आज कई मुद्दों को लेकर भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव के नेतृत्व में भाजपा के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सीएमएचओ कार्यालय का घेराव किया। इस दौरान सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इतना ही नहीं भाजपा ने संविदा भर्ती में फीस वसूली को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने सीएमएचओ से सवाल करते हुए कहा कि फीस वसूली अवैध है या वैध उन्हें बताना चाहिए।
भाजपा नेता संजय श्रीवास्तव का आरोप है कि विगत दिनों 21 मई 2023 चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रायपुर एवं अन्य जिला में संविदा भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों से 300 रुपए निर्देश दिये गये हैं। दूसरी ओर राज्य शासन द्वारा बेरोजगारों के लिए भर्ती परीक्षा के लिए शुल्क नहीं लिये जाने का निर्देश जारी हुआ था, लेकिन शुल्क लिया जा रहा है जो शासन की दोहरी मानसिकता को प्रदर्शित करता है। उक्त परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों को जमा राशि नियमानुसार वापस किया जाएं एवं परीक्षा का परिणाम शीघ्र अतिशीघ्र जारी करें।
अफसरों के आदेश को नहीं मानते रायपुर सीएचएमओ!
बता दें कि रायपुर सीएमएसओ पर कई तरह के गंभीर आरोप है। स्वास्थ्य विभाग में एक लेखापाल को बचाने बड़ा खेल खेला है । रायपुर सीएचएमओ अफसरों के आदेश को ठेंगा दिखा रहे हैं। दरअसल न्यूज प्लस 21 में खबर प्रकाशित होने के बाद लेखापाल तरूण कुमार फरिकार का डिमोशन का आदेश जारी हुआ था।
रायपुर जेडी ने 12 जून 2023 को आदेश जारी किया था। जिसमें तरूण कुमार फरिकार लेखापाल का पदस्थापना स्थान सिविल अस्पताल माना किया गया था। इसके बावजूद रायपुर सीएचएमओ उन्हें मूल पदस्थापना स्थान पर नहीं भेजा जा रहा है। वहीं संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं ने संभीय संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाएं रायपुर जांच का आदेश दिए हैं।
बता दें कि रायपुर सीएचएमओ ने आदेश को दरकिनार करते हुए अपने चहेते लेखापाल को उसकी मूल स्थापना पर न रखते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय रायपुर में पदस्थ कर दिया गया है। हैरानी कि बात तो ये है कि इसकी प्रतिलिपि विभाग के आला असफरों को भी दी गई है, मगर इस खेल में बड़ी चालाकी से इस बात का उल्लेख नहीं है कि लेखापाल तरूण कुमार फरिकार अपनी मूलस्थापना में सेवा न देकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय रायपुर में डटे हुए हैं।
बता दें कि तरूण कुमार फरिकार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय रायपुर में विगत दस वर्षों से जमे हुए हैं। विभाग का नियम यह कहता है कि तीन वर्ष से ज्यादा कोई कर्मचारी-अधिकारी नहीं रह सकते हैं। इससे साफ अंदाजा लगा सकते हैं कि विभाग के अधिकारी किस कदर खेल खेल रहे हैं। अब देखना यह होगा कि क्या लेखापाल तरूण कुमार फरिकार पर कार्रवाई होगी या उन्हें हटाया जाएगा।