
Aditya-L1 : चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के बाद अब भारत की निगाहें सूरज की ओर है। भारत आज 11 बजकर 50 मिनट पर आदित्य L 1 की लॉन्चिंग करेगा। सूर्य के विस्तृत अध्ययन के लिए भारत की विशेष वेधशाला आदित्य एल1 अंतरिक्ष के खास स्थान एल1 बिंदु पर स्थापित की जाएगी. आदित्य एल1 के साथ 7 खास तरह के उपकरण जा रहे हैं जिनके जरिए यह वेधशाला सूर्य के वायुमंडल के उसके हिस्सों, उनकी कुछ खास प्रक्रियाओं का अध्ययन करेगी।



Aditya-L1
आदित्य-एल1 स्पेसक्राफ्ट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र SHAR से प्रक्षेपित किया जाएगा। पहले इसे पृथ्वी की निम्न कक्षा में रखा जाएगा। फिर, कक्षा को अधिक दीर्घवृत्ताकार बनाया जाएगा। आखिर में स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर, लार्ज्रेंज बिंदु 1 की ओर धकेल दिया जाएगा। पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकलने के बाद, आदित्य-एल1 का क्रूज स्टेज शुरू होगा, जिसके बाद यह लार्ज्रेंज बिंदु 1 (L1) के चारों ओर एक हेलो कक्षा में प्रवेश करेगा। इसरो के अनुसार, पृथ्वी से लार्ज्रेंज बिंदु 1 तक का सफर पूरा करने में लगभग चार महीने लगेंगे।
Aditya-L1
इस अभियान में उपयोग में होने वाले इन सात उपकरणों में से पांच इसरो के और दो उपकरण भारतीय शैक्षणिक संस्थानों के हैं। यह वेधशाला सूर्य और पृथ्वी के बीच पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर पर स्थापित होगी जहां से यह लगातार सूर्य और उसकी कुछ खास प्रक्रियाओं का अवलोकन करेगी।


आदित्य-एल1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर, सूर्य की ओर निर्देशित रहेगा, जो पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग 1% है। सूर्य गैस का एक विशाल गोला है और आदित्य-एल1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा। आदित्य-एल1 न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही सूर्य के करीब आएगा।