
सुप्रीम कोर्ट ने आज शुक्रवार एक एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर कोई बच्चा अवैध विवाह या अवैध तरीके से होता है तो वह भी वैद्य शादी से हुई संतान की तरह ही माता – पिता की संपत्ति में हिस्सेदार होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे बच्चों को वैध कानून मिलना चाहिए, ताकि उन्हें भविष्य में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह अहम फैसला सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हए कहा कि अवैध या बिना विवाह से पैदा हुए बच्चे अपने माता-पिता की पैतृक संपत्ति में हिस्से के लिए अब कानूनी रुप से हकदार हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ रेवनासिद्दप्पा बनाम मल्लिकार्जुन (2011) में दो न्यायाधीशों की पीठ के फैसले के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि शून्य/शून्य विवाह से पैदा हुए बच्चे इसके हकदार हैं।
आपको बता दें कि यह मामला हिंदू विवाह अधिनियम- 1955 की धारा 16 की व्याख्या से जुड़ा है जो अमान्य विवाह से पैदा हुए बच्चों को वैधता प्रदान करता है। हालाँकि, धारा 16(3) में कहा गया है कि ऐसे बच्चे केवल अपने माता-पिता की संपत्ति के हकदार हैं और उन्हें अन्य सहदायिक शेयरों का कोई अधिकार नहीं होगा।