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गंगा-जमनी तहजीब की मिसाल बनेगा राष्ट्रीय रामायण महोत्सव, मेलमिलाप की संस्कारधानी की परंपरा की दिखेगी झलक …

National Ramayana Festival

रायपुर। राम कथा में कई प्रसंगों में श्री राम के वन गमन व सीता माता की खोज के दौरान विभिन्न समुदायों के लोगों का जिक्र है जो उनके उद्देश्य पूर्ति में साथ जुड़ते चले जाते हैं। चाहे वह निषादराज हों जो वनवास में जा रहे श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण को गंगा जी पार करवाते हैं या शबरी जिन्होंने सीता की खोज में निकले श्री राम को प्रेम से बेर खिलाए और आगे की राह बताई।

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इसी में एक प्रसंग आता है। श्री राम लंका के लिए सेतु निर्माण के लिए अपनी वानर सेना को निर्देशित करते हैं। सब जुट जाते हैं। एक गिलहरी भी इसमें सहयोग करने आगे बढ़ती है। उससे पूछा जाता है कि ऐसा क्यों, उसका जवाब होता है। शुभ कार्य में यथा संभव जितनी हिस्सेदारी हो उतना अच्छा, ऐसा श्रीराम का चरित्र है। उनके पुनीत उद्देश्यों के लिए सभी वर्ग आगे आये और रामायण की कथा में श्री राम सबके साथ उद्देश्यपूर्ति करते हैं।

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कुछ इसी तरह से रायगढ़ में हो रहे राष्ट्रीय रामायण महोत्सव में भी हर वर्ग इसी तरह से आयोजन को सफल बनाने अपनी भागीदारी के लिए पहल कर रहा है। सफल आयोजन के लिए विभिन्न समुदाय जुटे हुए हैं। मुस्लिम समुदाय यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए शर्बत ए मोहब्बत रखेगा। भीषण गर्मी में लोगों को तर करने यह पेशकश होगी। रायगढ़ के शेख सलीम नियारिया ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल से रायगढ़ के रामलीला मैदान में 1 से 3 जून तक भव्य रामायण महोत्सव के आयोजन में मुस्लिम समाज प्रदेश और जिले से आने वाले आगंतुकों का स्वागत शर्बत-ए-मोहब्बत से करेगा। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए फक्र की बात है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के आयोजन के लिए कला और संस्कृति की नगरी रायगढ़ को चुना है।

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यह रायगढ़ की तहजीब है जहां सब मिलकर रहते हैं। सुखदुख में साझीदारी करते हैं। इन सुंदर सरोकारों ने ही रायगढ़ को संस्कारधानी बनाया है। 3 दिनों तक चलने वाले इस भव्य आयोजन में श्रीराम के चरित स्मरण से संस्कारधानी की यह परंपरा और मजबूत होकर उभरने वाली है।

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राम कथा की यह विशेषता है कि इस कथा के श्रवण से श्रीराम के आदर्श हमारे मन के भीतर घुलने लगते हैं। उनके सामूहिक नेतृत्व का चरित्र और सबको साथ में लेकर सबकी प्रतिभा को निखारकर मानव जाति में सत्य के मूल्यों की स्थापना का उनका संकल्प जब विजयी होता है तब आम आदमी भी स्वयं की सात्विक शक्ति को महसूस करता है।

राष्ट्रीय रामायण महोत्सव के आयोजन के पीछे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा यही है। हम अपनी श्रेष्ठ परंपराओं को गहराई से जाने। श्री राम के उदार, उदात्त चरित्र को बारीकी से समझें। जब राम को गहराई से जानेंगे तभी तो हम सुराज के सपनों को साकार करने बढ़ सकेंगे। यह ऊर्जा संचार का महोत्सव है। श्रीराम के उत्तम जीवन चरित को अपने जीवन में उतारें और शुभ संकल्पों से राष्ट्र को मजबूत बनाएं।

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रायगढ़ जिस तरह उत्साह से दमक रहा है और सभी समुदायों के लोग प्रशासन के साथ इस भव्य आयोजन को सफल करने रात दिन कड़ी मेहनत कर रहे हैं उससे साफ है कि रामायण महोत्सव अपने शुभ संकल्पों को पूरा करने में सफल होगा और सबकी साझेदारी से श्री राम के बहुआयामी चरित्र की बारीकियों की हमारी समझ कुछ और बेहतर होगी।

 

 

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