When will the people of Raipur become smart: अविनाश चंद्रवंशी / रायपुर। राजधानी रायपुर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए प्रशासन लंबे समय से काम कर रहा है, कई करोड़ों रुपए लगाए जा रहे हैं, बेहतर से बेहतर काम करने की कोशिश की जा रही है। राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर करने यातायात विभाग के निर्देशन में स्मार्ट सिटी लगातार काम कर रही है। सड़कों को विकसित करने का काम लगातार किया जा रहा है और सुंदरता को बढ़ाने के लिए भी सुंदर पोल लगाए जा रहे हैं। लेकिन शहर कैसे स्मार्ट बने जब शहरवासी ही स्मार्ट नहीं बनेंगे।
When will the people of Raipur become smart : दरअसल, शहर के चौक चौराहो में लेफ्ट साइड में जाने वाली जगह में भी लोग अपनी गाड़ी खड़ी कर देते थे जिससे लेफ्ट फ्री में जाने वाले लोगों को काफी मशक्क़तो का सामना करना पड़ता था। लेफ्ट फ्री में वाहन रोकने को लेकर कई बार दो पक्षों में विवाद भी होने का मामला सामने आया है। इन्हीं सब समस्याओं को देखते हुए यातायात विभाग के निर्देशन में स्मार्ट सिटी की ओर से लेफ्ट फ्री वाले स्थान पर प्लास्टिक और रबर से बने लचीले पीले रंग के बैरिकेट्स लगाए गए थे जिससे यातायात सुगम हो सके और लेफ्ट साइड में जाने वाले वाले राहगीरों को समस्या का सामना न करना पड़े।
When will the people of Raipur become smart :लेकिन शहरवासियों की मनमानी ने इन बैरिगेट्स को कुछ दिन में ही बर्बाद कर दिया। वाहन चालकों ने इन बैरिगेट्स पर जबरन गाड़ी चढ़ाकर इसे पूरी तरह से नष्ट कर दिया है। यही वजह है कि शहर के अंदर यातायात व्यवस्था होने के बाद भी ट्रैफिक जाम की स्थति बनी रहती है।
80 दिन भी नहीं चल पाया 18 लाख की लागत से बना बैरिकेट
When will the people of Raipur become smart: इन बैरिगेट्स को राजधानी के 15 मुख्य चौक -चौराहो पर लगाया गया था जिसमें टर्निंग पॉइंट, शंकरनगर, घडी चौक शामिल है। यातायात विभाग दो पहिया चार पहिया वाहन चालकों के लिए सुविधा मुहैया करवा रही है लेकिन जनता नियमों की धज्जियां उड़ाने के साथ-साथ लाखों-करोड़ों सरकारी पैसों की बर्बादी कर रही यही।
लेफ्ट फ्री बेरिकेट के फायदे
प्लास्टिक और रबर से बना यह पीला रंग का बेरिकेट लचीला प्रवित्ति का है। जब कोई चार पहिया या दो पहिया वाहन इससे टकराता है तो यह वापिस अपनी जगह पर आ जाता है, जिससे किसी भी प्रकार की चोट नहीं लगती है। यह एक फ्लेक्सिबल बेरिकेट है। अक्सर देखा गया है कि लोहे से बने बैरिकेट्स में टक्कर की वजह से कई बार दुर्घटना हो जाती है और वाहन और चालक दोनों को नुक्सान पहुंचता है जिसे देखते हुए रबर वाले बैरिकेट्स लगाने का निर्णय लिया गया था।