Newsplus21 Special: उम्र कैद से ज्यादा लंबा है यासीन मलिक के गुनाहों का काला चिट्ठा, इन साजिशों का रहा है मास्टर माइंड
न्यूज डेस्क। जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir)के अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को टेरर फंडिंग के मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने कोर्ट ने उम्रकैद की सजा मिली है। एनआईए यासीन मलिक को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की थी। बता दें कि अलगाववादी नेता यासीन मलिक के गुनाहों का काला चिट्ठा एनआईए कोर्ट से मिली उम्र कैद की सजा से काफी लंबा है। आतंकी यासीन मलिक घाटी में बेगुनाहों की हत्या की रची गई साजिशों का मास्टर माइंड रहा है।
आइए जानते हैं यासीन मलिक के गुनाहों का काला चिट्ठा
13 अक्टूबर 1983: क्रिकेट मैच के बीच में पिच खराब करने चला गया
13 अक्टूबर 1983 को कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में भारत और वेस्ट इंडीज का क्रिकेट मैच चल रहा था। लंच ब्रेक में अचानक 10-12 लड़के बीच मैदान में पहुंच गए और पिच खराब करने लगे। इस वारदात को मलिक के ताला पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ही अंजाम दिया था।
13 जुलाई 1985 : सैकड़ों लोगों की रैली में फोड़ा पटाखा
13 जुलाई 1985 को कश्मीर के ख्वाजा बाजार में नेशनल कॉन्फ्रेंस की रैली हो रही थी। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे। इस दौरान 60 से 70 लड़के पहुंचे और बीच में ही पटाखा फोड़ दिया। उस वक्त सबको लगा कि बमबारी शुरू हो गई है। हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल बन गया। तब पहली बार यासीन मलिक पकड़ा गया।
11 फरवरी 1984: मकबूल भट्ट की फांसी का विरोध
11 फरवरी 1984 को आतंकवादी मकबूल भट्ट को देश विरोधी गतिविधियों और आतंकी घटनाओं में शामिल होने के आरोप में फांसी पर चढ़ा दिया गया। तब यासीन मलिक और उसकी ताला पार्टी ने इसका जमकर विरोध किया। जगह-जगह मकबूल भट्ट के समर्थन में पोस्टर लगाए। इस मामले में यासीन को पुलिस ने गिरफ्तार किया और वह चार महीने तक जेल में रहा।
राजनीति में नेशनल कॉन्फ्रेंस का मिला साथ
1980 दशक से ही कश्मीर में हिंदुओं पर हमले होने लगे थे। इसमें यासीन मलिक और उसके साथियों का नाम आता था। बढ़ती हिंसात्मक घटनाओं को देखते हुए सात मार्च 1986 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने जम्मू कश्मीर की गुलाम मोहम्मद शेख सरकार को बर्खास्त कर दिया। राज्य में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया। इसके बाद कांग्रेस ने फारूख अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ हाथ मिला लिया।
हिजबुल मुजाहिद्दीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन का किया चुनाव प्रचार
1987 में विधानसभा चुनाव हुए। इस चुनाव में अलगाववादी नेताओं ने मिलकर एक नया गठबंधन किया। इसमें जमात-ए-इस्लामी और इत्तेहादुल-उल-मुसलमीन जैसी पार्टियां साथ आईं और मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट (एमयूएफ) बनाया। यासीन मलिक ने इस गठबंधन के प्रत्याशी मोहम्मद युसुफ शाह के लिए प्रचार किया। बाद में इसी युसुफ शाह ने आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन का गठन किया। आज युसुफ शाह को सैयद सलाहुद्दीन के नाम से जाना जाता है।
1987: कश्मीरी युवाओं को देश के खिलाफ भड़काना
1987 में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस से मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट (एमयूएफ) चुनाव हार गई। इसके बाद पूरे कश्मीर में हिंसात्मक घटनाएं बढ़ गईं। कहा जाता है कि यासीन मलिक ने पूरे कश्मीर में अलगाववादी और आतंकवाद को बढ़ावा दिया। 1988 में यासीन मलिक जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ से जुड़ गया। वह एरिया कमांडर था। इसके जरिए यासीन मलिक ने कश्मीरी युवाओं को देश के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया।
1988: गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी का अपहण
1988 में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट यानी जेकेएलएफ से जुड़ने के कुछ दिनों बाद ही वह पाकिस्तान चला गया। यहां ट्रेनिंग लेने के बाद 1989 में वह वापस भारत आया। इसके बाद उसने गैर मुसलमानों को मारना शुरू कर दिया। आठ दिसंबर 1989 को देश के तत्कालीन गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद का अपहरण हो गया।
इस अपहरण कांड का मास्टरमाइंड अशफाक वानी था। कहा जाता था कि ये यासीन मलिक के इशारे पर ही हुआ था।
2017: टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने किया गिरफ्तार
2017 में यासीन मलिक के खिलाफ टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने केस दर्ज किया। 2019 में यासीन मलिक को गिरफ्तार कर लिया गया। 19 मई 2022 को कोर्ट ने यासीन मलिक को टेरर फंडिंग के मामले में दोषी ठहराया।