वर्ल्ड | नरक की आग (fire of hell)। शैतान की सांस। रहस्यमयी आग। न जाने कितने नामों से इस जगह को जाना जाता है। नरक की आग (fire of hell) ये शब्द किस्से कहानियों में खूब सुने होंगे। टीवी धारावाहिकों में देखे होंगे। लेकिन क्या सच में धरती पर नरक की आग (fire of hell) मौजूद है। इस सवाल का जवाब है कि हां। धरती पर एक ऐसी जगह है जहां सालों से आग जल रही है। आग इतनी तेज कि पास जाने पर आवाज तक आती है। इसे नरक की आग कहा जाता है।
ये जगह तुर्कमेनिस्तान के काराकुम रेगिस्तान में है। ये आग और सालों से इसका जलना एक रहस्य है। इसे डोर टू हेल के नाम से भी जाना जाता है। ये एक प्राकृतिक गैस है जो दरवंजा गांव में एक गुफा के पास है। हालांकि इस बात का कोई रिकॉर्ड नहीं है कि मूल रूप से जलते हुए गड्ढे की खोज कैसे हुई।
आग की इन लपटों को लेकर कहा जाता है कि साल 1971 में इसकी खोज की गई। जब तुर्कमेनिस्तान सोवियत शासन के अधीन था। एक थ्योरी के मुताबिक, भूवैज्ञानिकों ने तेल की ड्रिलिंग के दौरान प्राकृतिक गैस की एक पॉकेट पर ड्रिल कर दिया।
ऐसा माना जाता है कि ड्रिल की वजह से वहां से मीथेन गैस निकलने लगी, जिसे फैलने से रोकने के लिए उन्होंने उसमें आग लगा दी थी और तब से यह जल रही है।
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क्रेटर को 2013 में नेशनल ज्योग्राफिक चैनल सीरीज डाई ट्राइंग के एक एपिसोड में दिखाया गया था। कनाडा के खोजकर्ता जॉर्ज कौरोनिस 100 फीट गहरे आग के गड्ढे में उतरने वाले पहले व्यक्ति थे। उस समय उन्होंने कहा कि यह रेगिस्तान के बीच में एक ज्वालामुखी जैसा दिखता है।
जॉर्ज कौरोनिस ने कहा था कि यहां से जबरदस्त मात्रा में लौ निकलती है। जैसे कि नीचे बहुत आग हो। दिन हो या रात। ये जलती रहती है। अगर आप इसके किनारे पर खड़े हैं तो आग की आवाज साफ सुनाई देती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि गड्ढा 1960 के दशक में बनाया गया था और 1980 के दशक तक जलाया नहीं गया था। 2013 में तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्दीमुहामेदो ने इसे रिजर्व घोषित कर दिया।