रायपुर। प्रदेश में बदलते वक्त के साथ पति-पत्नी के अटूट रिश्तों पर भी दरार पड़ती नजर आ रही है। ऐसे ही कुछ मामले छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में देखने को मिला जहां पत्नी के भरण पोषण देने से पति ने साफ इनकार कर दिया। इसी तरह के कुछ 20 मामलों की सुनवाई आयोग में बुधवार हुई वहीं 8 मामलों को निरस्त कर दिया गया।
क्या था मामला
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक ने बताया सामाजिक तलाक किसी भी परिस्थिति में मान्य नही है। इसी दौरान रूही ( परिवर्तित नाम) ने पति के खिलाफ आयोग में शिकायत की थी कि शासकीय सेवा पुस्तिका में पत्नी के स्थान पर उनका नाम दर्ज होने के बाद भी पति द्वारा भरण पोषण नहीं दिया जा रहा है। उसने पति ने आयोग के समक्ष पत्नि को एकमुश्त राशि 21 हज़ार रुपये देने का आवेदन प्रस्तुत किया। जिसमें आयोग ने गलत मानते हुए कहा कि पति शासकीय सेवा में है और पत्नी को भरण-पोषण राशि देने से बचने की कोशिश कर रहा है। आयोग अध्यक्ष ड़. नायक ने बाताया सामाजिक तलाक सिविल सेवा आचरण संहिता के खिलाफ है। आवेदिका पत्नी अपने पति के नियोक्ता पंचायत विभाग को लिखित में आवेदन कर मासिक वेतन से भरण पोषण प्राप्त कर सकती है।