घर का ब्रह्म स्थान (Brahmasthan), जो खोल सकता आपकी तरक्की और खुशियों के रास्ते
इन नियमों का रखें ध्यान
एस्ट्रोलॉजी | वास्तु शास्त्र में किसी भी भवन के ब्रह्म स्थान (Brahmasthan) का बहुत महत्व होता है. जिससे जुड़े नियम को हमेशा किसी भी भवन को बनाते समय विशेष ख्याल रखना चाहिए, क्योंकि इसका संबंध आपकी तरक्की और खुशियों से होता है. मौजूदा समय में आजकल अक्सर इस ब्रह्म स्थान (Brahmasthan)की अक्सर लोग अनदेखी कर देते हैं. फ्लैट कल्चर में तो इसका नितांत अभाव देखा जाता है. वहीं घर में खुले आंगन की परंपरा भी अब लगभग खत्म सी होती जा रही है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार किसी भी भवन या घर के मध्य भाग को ब्रह्म स्थान (Brahmasthan) माना जाता है. ब्रह्मस्थल या फिर कहें भवन के आंगन के देवता स्वयं ब्रह्माजी हैं. वास्तु के अनुसार किसी भी भवन या घर का खुला हुआ ब्रह्मस्थान (Brahmasthan) उस स्थान के अन्य वास्तु दोषों और नकारात्मक उर्जा आदि को कम करने में पूरी तरह से सक्षम होता है…
वास्तु के अनुसार घर के भीतर बनाए जाने वाले सबसे अहम ब्रह्म स्थान को हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए. वास्तु के अनुसार ब्रह्म स्थान (Brahmasthan) को हमेशा ईशान कोण की भांति पवित्र रखना चाहिए. ब्रह्म स्थान में किसी प्रकार की कोई गंदगी या गड्ढे आदि नहीं होने चाहिए, बल्कि इस स्थान को कुछ ऐसा ऊंचा होना चाहिए कि यदि पानी डाला जाए तो चारों तरफ बिखर जाए.
वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार ब्रह्म स्थान (Brahmasthan) में कूड़ा-कचरा या किसी प्रकार की गंदगी नहीं होनी चाहिए और न ही ब्रह्म स्थान पर कोई भारी चीज का ढेर लगाकर रखें. ऐसा होने पर गंभीर वास्तु दोष होता है और उस घर के लोगों पर तमाम तरह की परेशानियां आती है.
वास्तु के अनुसार ब्रह्म स्थान (Brahmasthan) पर भूलकर भी सीढ़ी, शौचालय, खंभे, हैंडपंप, बोरिंग, सेप्टिक टैंक या फिर वाटर स्टोर करने के लिए भूमिगत पानी की टंकी नहीं बनवानी चाहिए और न ही यहां पर कोई आग से संबंधित कोई कार्य करना चाहिए. ये सभी चीजें गंभीर वास्तु दोष पैदा करती हैं जिसके दुष्प्रभाव से घर के मालिक को आर्थिक तंगी से जूझना पड़ता है और परिवार के सदस्यों के बीच मन-मुटाव बना रहता है.