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भवन निर्माण में Vaastu Shaastra के इन rules का करें पालन

एस्ट्रोलोजी, वास्तुशास्‍त्र (Vaastu Shaastra) के अनुसार ब्रहांड अनंत है. इसकी न कोई दशा है और न दिशा. लेकिन हम पृथ्वीवासियों के लिए दिशाएं हैं. ये दिशाएं पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाने वाले गृह सूर्य एवं पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र पर आधारित हैं. यहां उल्लेखनीय है कि आठों मूल दिशाएं के प्रतिनिधि देव हैं, जिनका उस दिशा पर विशेष प्रभाव पड़ता है. इसका विस्तृत वर्णन नीचे किया गया है.

वास्तुशास्‍त्र (Vaastu Shaastra) में दिशानुसार भवनों का निर्माण महत्वपूर्ण माना जाता है इसके अनुसार आठ प्रमुख दिशाएं हैं जो मनुद्गय के समस्त कार्य-व्यवहारों को प्रभावित करती हैं. हर दिशा का विशेष महत्व है. घर या कार्यस्थल में दिशानुसार बताए गए वास्तु सिद्धांतों का पालन करने पर इसका सकारात्मक परिणाम आपके जीवन पर होता है. इन आठ दिशाओं को आधार बनाकर आवास/कार्यस्थल एवं उनमें निर्मित प्रत्येक कमरे के वास्तु विन्यास का वर्णन वास्तुशास्‍त्र में आता है.

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